Sarla Thakral indian aircraft pilot Life story

दोस्तो हम आप को बता दे की यह गूगल ने वह दिन रविवार काे ही वह Sarla Thakral को उनके वह 107वें जन्‍मदिन पर ही यह डूडल बनाकर याद किया था और बता देे सरला देश की पहली वह महिला पायलट थीं और साथ ही इस डूडल में एक महिला को दिखाया गया है।


और वह हवाई जहाज उड़ाती दिख रही है और बता दे की इस डूडल का डिजाइन वृंदा जवेरी ने बनाया है और वह ठकराल एविएशन सेक्‍टर में करियर बनाने वाली महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत रही हैं और यह यही कारण है कि वह अमेरिकी टेक्‍नोलॉजी कंपनी ने उनके सम्‍मान में डूडल बनाने का फैसला लिया था।


और साथ ही हम आप को बता दे की वह सरला का जन्‍म 8 अगस्‍त सन1914 को दिल्‍ली में हुआ था और यह बाद में ही यह वह लाहौर में शिफ्ट हो गई थीं और साथ ही सन 1936 में 21 साल की उम्र में ही वह उन्‍हें एक एविएशन पायलट लाइसेंस मिल गया था और साथ ही यह शानदार पायलट होने के साथ बेहतरीन डिजाइनर और उद्यमी भी थीं।


और साथ ही उनके पति पीडी शर्मा एयरमेल पायलट थे। बताया जाता है और साथ ही कि उनकी ससुराल में करीब 9 लोग हवाई जहाज उड़ा लेते थे और उन्‍हीं से सरला को पायलट बनने की प्रेरणा मिली थी।


दोस्तो वह Sarla Thakral 21 साल की उम्र में सरला ने वह जिप्‍सी मॉथ नाम का दो सीटर एयरक्राफ्ट उड़ाया था और इसके साथ यह इस दौरान उन्‍होंने पारंपरिक साड़ी पहन रखी थी और साथ ही।


और वह जोधपुर फ्लाइंग क्‍लब में उन्‍होंने विमान उड़ाने की ट्रेनिंग ली थी और वह 16 साल की उम्र में पीडी शर्मा से सरला की शादी हुई थी और साथ ही वह पायलट बनने में सरला को पति का भरपूर सहयोग मिला था।


और साथ ही यह लाहौर फ्लाइंग क्‍लब की छात्रा के तौर पर सरला ने ही वह 1,000 घंटे की उड़ान भरकर ‘ए’ लाइसेंस प्राप्‍त किया था और  यह उपलब्‍ध‍ि भी हासिल करने वाली है और वह पहली भारतीय महिला थीं और जल्‍द ही वह तमाम अखबारों की सुर्खियां बनने लगीं थीं।


दोस्तो वह इसके बाद ही यह वह कमर्शियल पायलट बनने की तैयारियों में जुट गईं और इसके साथ ही यह हालांकि, सन1939 में सरला की जिंदगी में अचानक बड़ा तूफान आया था और वह तब विमान क्रैश में उनके पति की मौत हो गई और वह साथ ही वहीं और वह उसी साल दूसरा विश्‍व युद्ध शुरू हो गया।


और वह उसके चलते सरला को वह अपनी ट्रेनिंग रोकनी पड़ी और वह बाद में उन्‍होंने लाहौर (पाकिस्‍तान) के मेयो स्‍कूल ऑफ आर्ट्स (अब नेशनल कॉलेज ऑफ आर्ट्स) में फाइन आर्ट्स और पेंटिंग की शिक्षा ली थी।


और दोस्तो वह कुछ साल के बाद ही वह अपने गृहनगर दिल्‍ली लौट आईं थीं और वह अपनी दो बेट‍ियों के साथ फिर वह राजधानी में ही रहने लगीं और दोस्तो वह इस दौरान ही यह ‍होंने पेंटिंग जारी रखी थी और वह इसके साथ ही ज्‍वेलरी और क्‍लोदिंग डिजाइनिंग में शानदार करियर बनाया था।


और वह उनके क्‍लाइंटों में पंडित जवाहर लाल नेहरू की बहन विजय लक्ष्‍मी पंडित जैसी हस्तियां शामिल थीं और सन2008 में 91 साल की उम्र में उनका निधन हो गया था और वह गूगल ने बताया कि ठकराल की उपलब्धियां भारतीय महिलाओं को प्रेरणा देने वाली हैं और वह उन्‍होंने दिखाया है कि अपने सपनों को हकीकत में कैसे बदला जा सकता है और इन्होंने अपने सपनों को पुरा कर दिखाया है।

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